सौ ज़ख़्म दिए थे लोगो को
और कितना खून बहाया था
याद भी है या भूल गया
तूने घर कैसे बनाया था
फैली है जो हवा गंदी होगी
तूने कब फूल लगाया था
बदलाव नियम है कुदरत का
अब अमल वो करने वाली है
यह बस्ती जलने वाली है!
मासूम था वो लड़का
जिसका सर तूने कलम किया
वो फूट फूट कितना रोया
जब उसको बाप ने गुस्ल दिया
तेरी बर्बादी की उस दिल से
अब आह निकलने वाली है
यह बस्ती जलने वाली है!
राजा बनने की कोशिश में
है तेरे ही कुछ प्यादे ही
रोक सके तो रोक ले
हैं ख़तरे में शहजादे भी
आती जाती हैं सरकारें
तेरी भी बदलने वाली है
यह बस्ती जलने वाली है!
Yeh basti jalane wali hai siraj Ali |
No comments:
Post a Comment